भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को बढ़ावा देने की ‘अस्मिता’ योजना का शुभारंभ
भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार ने ‘नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020’ को लेकर एक नई दिशा स्थापित की थी, जिसमें विशेष ध्यान दिया गया था कि शिक्षा को मातृभाषा में प्रदान किया जाए। इस मंशे को प्राकृतिक करते हुए, शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक पहल शुरू की है जिसके तहत 22 भारतीय भाषाओं में 22 हजार किताबें तैयार करने का टारगेट है।
अस्मिता’ परियोजना
भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘ASMITA’ नामक परियोजना की शुरुआत की गई है। इस परियोजना का मतलब है ‘Augmenting Study Materials in Indian Languages through Translation and Academic Writing’ (भारतीय भाषाओं में अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से अध्ययन सामग्री को बढ़ाना)। इसका उद्देश्य है कि विभिन्न भारतीय भाषाओं में विश्वविद्यालयीन स्तर पर शिक्षा सामग्री तैयार की जाए ताकि विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए सुलभता प्राप्त हो।
इस परियोजना को शुरू करने के लिए उच्च शिक्षा मंत्रालय की भारतीय भाषा समिति और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मिलकर एक साझी पहल शुरू की है। भारतीय भाषा समिति उच्च शिक्षा मंत्रालय में उच्चाधिकार प्राप्त समिति है, जो इस प्रकल्प को समर्थन और मार्गदर्शन देने के लिए अपनी विशेष दक्षता का उपयोग करेगी।
इस परियोजना के अंतर्गत, पहले चालूचित्र में 12 भारतीय भाषाओं में एक हजार पाठ्य पुस्तकें तैयार करने की योजना बनाई गई है, जिसमें हिंदी, पंजाबी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल, तेलुगू और उड़िया भाषाएं शामिल हैं। यह परियोजना पांच साल के अंतराल में पूरी की जाने की योजना बनाई गई है।
शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुकांत मजूमदार ने इस परियोजना की शुरुआत के मौके पर भारतीय भाषाओं में किताबें लिखने के लिए एक दिन का वर्कशॉप आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय भाषा समिति और यूजीसी ने साझा प्रयास किया। इस वर्कशॉप में 150 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया। बहुभाषा शब्दकोशों की परियोजना में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेज और भारतीय भाषा समिति ने साझा प्रयास किया है, जबकि रियल टाइम ट्रांसलेशन आर्किट्रेक्चर की परियोजना में नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम और भारतीय भाषा समिति ने साझा प्रयास किया है।
पहले किन भाषाओं में तैयार होंगी किताबें
पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस पहल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने इस परियोजना के महत्व को उजागर किया है। इस पहल के तहत, पंजाबी, हिंदी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल, तेलुगू, और उड़िया भाषाओं में टेक्स्टबुक्स तैयार करने का मुख्य उद्देश्य है। इसके अलावा, इस परियोजना के माध्यम से 22 अनुसूचित भाषाओं में 22,000 किताबें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल के माध्यम से सामाजिक एकता बढ़ाने, भाषाई विभाजन को कम करने और युवाओं को वैश्विक नागरिक बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भारतीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें तैयार करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है। इस एसओपी में नोडल अधिकारियों और लेखकों की पहचान, पुस्तक के शीर्षक, विषय, और कार्यक्रम का आवंटन, लेखन और संपादन, पांडुलिपि, समीक्षा और साहित्यिक चोरी की जांच, डिजाइनिंग, प्रूफरीडिंग, और ई-प्रकाशन शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है भारतीय भाषाओं में एक गुणवत्तापूर्ण और मानकीकृत पाठ्य पुस्तकें तैयार करना।
यूजीसी ने क्या की है तैयारी
यूजीसी ने पहले से ही इस क्षेत्र में कार्य किया है, और इस साल जनवरी में वे कला, विज्ञान, वाणिज्य, और सामाजिक विज्ञान विषय में स्नातक स्तर के पाठ्य पुस्तकें के लिए आवेदन मांगे थे। इन आवेदनों के माध्यम से वे उन्होंने विभिन्न विषयों में पाठ्य पुस्तकों की तैयारी के लिए शिक्षकों, शिक्षाविदों, और लेखकों से सहयोग और योगदान के लिए आह्वान किया।