भारत तेजी से सुसाइड कंट्री बनता जा रहा है
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े वाकई में डराने और चौंकाने वाले हैं। इस देश में हर आठ मिनट पर एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। 4 दिसंबर, 2023 को जारी नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में कुल 1,70,924 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 की तुलना में 4.2 प्रतिशत अधिक है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार भारत में सुसाइड रेट एक लाख में 12.4 प्रतिशत हो गया। यानी एक लाख लोगों में 12 हजार 400 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। ये वे आंकड़े हैं जिनकी रिपोर्ट दर्ज हुई। कई बार बदनामी के डर से इसे छिपाया भी जाता है। अगर उन आंकड़ों को मिलाया जाए तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। आइए हम आपको बताते हैं कि वे कौन-कौन से कारण हैं जिसकी वजह से लोग इस कार्य को करते हैं।
कारण और समाधान
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिकार्ड के अनुसार 2022 में भारत में कुल 1,70,924 यानी करीब 1 लाख 71 हजार लोगों के आत्महत्या के मामले दर्ज किए गये हैं, जो 2021 की तुलना में 4.2 प्रतिशत अधिक है। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि आत्महत्या करने वाले 43 प्रतिशत लोगों की उम्र 30 साल से कम थी। इतना ही नहीं, इस देश में एक साल के भीतर 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की। 2022 में आत्महत्या से होने वाली कुल मौतों में से 7.6% स्टूडेंट थे।
इस रिपोर्ट में यह भी पता चला कि 1,123 स्टूडेंट ऐसे थे जिनकी उम्र 18 साल से कम उम्र थी और परीक्षा में फेल होने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली। इनमें से 578 लड़कियां जबकि 575 लड़के थे। स्टूडेंट के आत्महत्या करने के मामले में महाराष्ट्र पहले पायदान पर है। यहां सबसे अधिक 378 स्टूडेंट ने आत्महत्या की। उसके बाद दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश था, जहां 277 स्टूडेंट ने जबकि तीसरे पायदान पर झारखंड था। झारखंड के कुल 174 छात्रों ने एक साल में आत्महत्या कर ली। कर्नाटक के कुल 162 जबकि गुजरात के 155 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में असफल होने के कारण आत्महत्या कर ली। ये अर्लामिंग कंडीशन है। इसमें बच्चों के साथ ही उनके माता-पिता और कहीं हद तक भारत का एजुकेशन सिस्टम भी जिम्मेदार है।
अधिक पढ़े-लिखे लोगों में आत्महत्या का प्रतिशत अधिक
ऐसे लोग जो अधिक पढ़े-लिखे थे, उनके आत्महत्या करने का प्रतिशत अधिक था। 2022 में माध्यमिक स्तर की शिक्षा पाने वाले कुल 23.9% लोगों ने आत्महत्या किया। जबकि बिना शिक्षा वाले 11.5% लोगों ने आत्महत्या की, जो पढ़े-लिखे लोगों से करीब 50 प्रतिसत कम था। 4 दिसंबर को जारी रिपोर्ट के अनुसार लगातार तीसरे वर्ष महाराष्ट्र में आत्महत्या के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र में कुल 22,746 जबकि तमिलनाडु में 19,834 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें पारिवारिक समस्याओं से 31.7 प्रतिशत, बीमारी से 18.4 प्रतिशत, बेरोजगारी से 1.9 प्रतिशत जबकि अन्य पेशेवर समस्याओं की वजह से कुल 1.2 प्रतिशत लोगों ने मौत को गले लगा लिया। दिवालियापन और कर्ज के कारण आत्महत्या के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।
कर्ज और दिवालियापन का प्रभाव
देश में लगातार सब कुछ अच्छा होने का दावा और वायदा किया जा रहा है। लेकिन एक स्याह सच यह भी है कि 2022 में दिवालियापन और कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या 2021 में 6,361 से बढ़कर 7,034 हो गई। इसमें कई ऐसे लोग भी थे जिन्होंने एक लाख रुपये से कम का कर्ज लिया था। लेकिन बार-बार बैंकों द्वारा परेशान किए जाने की वजह से आत्महत्या कर ली। इसमें किसानों की संख्या भी अच्छी-खासी थी।
समाधान की जरूरत
इस समस्या का हल निकालने की जरूरत है। देश में एक प्रकार का एजुकेशन सिस्टम बनाने की जरूरत है जिससे देश के कर्णधार का भविष्य दांव पर नहीं लगे। पिछले कुछ वर्षों में भारत का एग्जामिनेशन सिस्टम मटियामेट हुआ है, उससे भी यह स्थिति पैदा हुई है। इतना कुछ हो रहा है, लेकिन भारत की सरकार कह रही है कि देश में ऑल इज वेल है।