4 साल में एक भी भर्ती परीक्षा नहीं करा पाई नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी, खर्च कर दिए 58 करोड रुपए
नई दिल्ली: देश में सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करने को नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई गई थी। लेकिन, यह एजेंसी साल 2020 में बनाई गई थी। नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बने 4 साल गुजर गए हैं। लेकिन, अभी तक यह एजेंसी एक भी भर्ती परीक्षा संपन्न नहीं करा पाई है। जबकि एजेंसी के निर्माण पर और इसके बाद हुए खर्च का आकलन करें तो लगभग 58 करोड रुपए खर्च हो चुके हैं। यह देश के संसाधनों की बर्बादी है। देश के युवा मुंह ताकते रह गए कि उन्हें नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की तरफ से रोजगार दिया जाएगा। लेकिन, भर्ती परीक्षा नहीं हो पाने की वजह से एक भी बेरोजगार को रोजगार नहीं मिल पाया है। इस स्थिति से देश के लगभग ढाई करोड़ बेरोजगार मायूस हैं। यह बेरोजगार हर साल सवा लाख सरकारी नौकरियों के लिए भटक रहे हैं।
होना था कामन एलिजिबिलिटी टेस्ट
नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी को सरकारी नौकरी में भर्ती के लिए कामन एलिजिबिलिटी टेस्ट लेने की जिम्मेदारी सौंप गई थी। इस टेस्ट के जरिए नान गजेटेड पोस्ट पर भर्ती की जानी थी। रेलवे, वित्त मंत्रालय, स्टाफ सेलेक्शन कमीशन, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड और इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन आदि के प्रतिनिधियों को एजेंसी में शामिल करना था। लेकिन इंस्टिट्यूट ऑफ़ बैंकिंग पर्सनेल सेलेक्शन, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड्स और स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने साफ कह दिया कि वह इस परीक्षा के बावजूद अपनी अलग से परीक्षा करना जारी रखेंगे। इससे सारा प्लान फेल हो गया
एक भी कामन टेस्ट नहीं कर पाई केंद्र सरकार
पहला कामन टेस्ट साल 2021 में होना था। 10 फरवरी साल 2021 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि पहले कॉमन टेस्ट साल 2021 में कराया जाएगा। साल 2022 को जितेंद्र सिंह ने संसद में फिर वादा किया और कहा कि इस साल कामन टेस्ट कराया जाएगा। साल 2023 में 10 अगस्त को केंद्र सरकार ने फिर संसद में सूचना दी कि एजेंसी का सूचना टेक्नोलॉजी और अन्य ढांचा तैयार हो रहा है और जल्दी ही कॉमन टेस्ट कराया जाएगा। लेकिन आज तक कॉमन टेस्ट नहीं हो पाया। यह कामन टेस्ट साल में दो बार कराया जाना था। परीक्षा देश की 12 भाषाओं में होनी थी।
परीक्षा शुरू हो जाती तो संस्थाओं के बचते 600 करोड़ रुपए
केंद्र सरकार का प्लान था कि हर जिले में इस परीक्षा का एक केंद्र होगा। देश भर में 1000 के करीब केंद्र बनाए जाएंगे। देश के 117 आकांक्षी जिलों के उम्मीदवारों पर विशेष फोकस करना था।
साल 2020 में नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी को गठित करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इसी साल बजट में घोषणा की गई थी कि नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी पर 3 साल में 1517 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे। अब तक 58 करोड रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। लेकिन नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी सफल नहीं हो पाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बड़ा एलिजिबिलिटी टेस्ट लेना शुरू कर देती तो अन्य संस्थाओं का परीक्षा पर होने वाला खर्च खत्म हो जाता और इस तरह संस्थाओं का लगभग 600 करोड़ रुपए बचता।