क्या आरएसएस के कहने पर एनसीईआरटी की किताबों में बदले जा रहे तथ्य जानें ‘पढ़ेगा इंडिया’ की पड़ताल में आए चौंकाने वाले खुलासे
नई दिल्ली: क्या आरएसएस के इशारे पर एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों की विषय वस्तु बदल रही है। क्या किताबों के चैप्टर चेंज किए जा रहे हैं। इस संबंध में कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने ट्वीट कर एनसीईआरटी पर आरएसएस के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। ‘पढ़ेगा इंडिया’ ने इस प्रकरण की पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। जिन्हें जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। माना जा रहा है कि एनसीईआरटी अब आरएसएस से जुड़ी संस्था के तौर पर काम कर रही है।एनसीईआरटी ने 11वीं की एक किताब जारी की है। इसके राजनीतिक विज्ञान के एक चैप्टर में धर्मनिरपेक्षता के विचार की आलोचना की गई है। अब कहा जा रहा है की एनसीईआरटी का काम किताबें तैयार करना है ना कि किसी सियासी एजेंडें को आगे बढ़ाना
एनसीईआरटी की नई किताब में बाबरी मस्जिद शब्द गायब
जानकार बताते हैं की एनसीईआरटी ने 12वीं की राजनीति विज्ञान की किताब में बदलाव किए थे। इसमें अयोध्या विवाद, बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे, कार सेवा और गोधरा दंगों से जुड़ी जानकारियां बदल दी गई हैं। एनसीईआरटी की पुरानी किताब में जिक्र है कि फरवरी 1986 में फैजाबाद जिला अदालत ने बाबरी मस्जिद परिसर का ताला खोलने का आदेश दिया था। जबकि, नई किताब में बाबरी मस्जिद की जगह तीन गुंबद वाले ढांचे शब्द का प्रयोग किया गया है। इसी तरह 11वीं की किताब में गोधरा दंगे का जिक्र इस तरह किया गया था कि साल 2002 के गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसमें ज्यादातर मुसलमान थे। जबकि, नई किताब में मुसलमान शब्द हटा दिया गया है।
अयोध्या पर चैप्टर को कर दिया गया छोटा
एनसीईआरटी की किताब में अयोध्या पर जो चैप्टर है वह पहले बड़ा था। इस पर चार पेज लिखे गए थे। मगर, अब इसे दो पेज का कर दिया गया है। बहुत सारे तथ्य इस चैप्टर से हटा दिए गए हैं। पुरानी किताब में कोर्ट में होने वाली सुनवाई का जिक्र था। अब नई किताब में अयोध्या मामले में चली न्यायिक सुनवाई का जिक्र पाठ में सब हेडिंग बना कर जोड़ा गया है।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर पाबंदी का जिक्र कौन हटाएगा
आरएसएस के एनसीईआरटी की किताबों के तथ्य बदलवाने के आरोपों पर जब कांग्रेस के लीडर पवन खेड़ा से बात की गई तो उनका कहना था कि सब समझते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर पाबंदी के जिक्र वाले चैप्टर को किताब से कौन सी संस्था हटवाएगी ये सब जानते हैं। इसके बारे में किसी को समझाने की जरूरत नहीं है। एनसीईआरटी से मौलाना आजाद के बारे में जानकारी हटा दी गई। एक सवाल के जवाब में पवन खेड़ा कहते हैं कि आरएसएस खुद ये सब कराए या फिर किसी संस्था से इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस सच्चाई यही है कि समाज एनकी नफरत का शिकार हो रहा है।
एतराज था तो सुझाव प्रक्रिया में हो जाते शामिल
इस मुद्दे पर एनसीईआरटी की जनरल काउंसिल मेंबर अनीता शर्मा आरएसएस से जुड़ी संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय संयोजक हैं। वह कहती हैं कि एनसीईआरटी का सिलेबस शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी की वेबसाइट पर सुझाव के लिए डाला गया था। जिन लोगों को एतराज था उन्हें इस पर सुझाव देने चाहिए थे। तब कोई सुझाव या आपत्ति नहीं जताई गई।