भर्ती व प्रतियोगी परीक्षाओं का निजी कंपनियों ने निकाल दिया कबाड़ा
हाईलाइट्स : इन परीक्षाओं के पेपर लीक
– राजस्थान में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा
– राजस्थान में सीएचओ भर्ती परीक्षा
– राजस्थान में लाइब्रेरियन भर्ती परीक्षा
– राजस्थान में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा
– यूपी में सिपाही भर्ती परीक्षा
– यूपी में आरओ एआरओ भर्ती परीक्षा
– यूजीसी नेट परीक्षा का पेपर लीक
– नीट यूजी परीक्षा का पेपर लीक
– बिहार में प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा
नई दिल्ली : देश अंधाधुंध निजीकरण का खमियाजा भुगत रहा है। हालात ये हैं कि भर्ती व प्रतियोगी परीक्षाएं ऐसी निजी कंपनियों के हवाले कर दी गई हैं जिनका मुख्य मकसद ही मुनाफा कमाना होता है। निजी कंपनियों की सफलता का पैमाना नैतिकता या ईमानदारी नहीं बल्कि मुनाफा है। ऐसे में भर्ती व प्रतियोगी परीक्षाओं को संपन्न कराने वाली निजी कंपनियां भी अपना मुनाफा देख रही हैं। कंपनी के अधिकारी अपनी बैलेंस शीट पर अधिक से अधिक मुनाफा देखना चाहते हैं, उन्हें परीक्षाओं की शुचिता से कोई खास मतलब नहीं है। ऐसे में भर्ती व प्रतियोगी परीक्षाओं का कबाड़ा निकलना लाजिमी है।
पहले सरकार खुद कंडक्ट कराती थी परीक्षाएं
पहले इस तरह की महत्वपूर्ण परीक्षाएं सरकार खुद कंडक्ट कराती थी। परीक्षा के पेपर सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में छपवाए जाते थे। इसकी पूरी निगरानी सरकारी अधिकारी करते थे। प्रश्न पत्रों को बेहद गोपनीय तरीके से पुलिस की सुरक्षा में सरकारी कोषागार में रखा जाता था। ये प्रश्न पत्र एक जगह से दूसरी जगह पुलिस और मजिस्ट्रेट की निगरानी में पहुंचाए जाते थे। कोषागार में रखने से लेकर वहां से इसे परीक्षा वाले दिन सेंटर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संबंधित जिलों के डीसी डीएम निभाते थे। इसके लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाती थी जो सरकारी अधिकारी हुआ करते थे। परीक्षा केंद्र भी सरकारी स्कूलों को ही बनाया जाता था। इसमें परीक्षक भी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी हुआ करते थे। मगर, अब ऐसा नहीं होता।
कंपनियों ने कर दिया परीक्षाओं का बंटाधार
जबसे, कंपनियों को ये जिम्मेदारी दी गई है परीक्षाओं का बंटाधार हो गया है। कंपनियों को परीक्षा संपन्न् कराने का कोई अनुभव नहीं होता। कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों को भी नौकरी जाने का कोई डर नहीं होता क्योंकि, वह एक कंपनी से दूसरी कंपनी में काम हासिल कर लेते हैं। इसलिए वह थोड़ी सी लालच में ही पेपर लीक करने वाले गैंग के मददगार बन जाते हैं। ये कंपनियां निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना देती हैं। निजी स्कूल भी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने वाली मानसिकता के ही होते हैं। इन स्कूलों में कक्ष निरीक्षक भी सरकारी कर्मचारी गैर सरकारी टीचर होते हैं। यही नहीं, निजी स्कूलों में किसी को भी कक्ष निरीक्षक बना दिया जाता है। यही वजह है कि परीक्षा में पेपर लीक से लेकर नकल और चीटिंग बड़े पैमाने पर हो रही है। परीक्षा केंद्र सेट कर लिए जाते हैं और फर्जी परिक्षार्थियों तक को परीक्षा में बैठाया जा रहा है।
गुजरात की एजुटेस्ट ने कराई यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा
उत्तर प्रदेश में पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी गुजरात की कंपनी एजुटेस्ट को दी गई थी। इस परीक्षा का वही हाल हुआ था जो अभी नीट यूजी का हुआ है। पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हो गए। बाद में ये परीक्षा रद कर दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस परीक्षा को छह महीने बाद दोबारा कराने का एलान किया था। मगर, अब तक इस परीक्षा की तारीख का एलान नहीं हुआ है।
एजुटेस्ट ने परीक्षा संपन्न कराने को हायर की थी कई कंपनियां
एजुटेस्ट को जब उत्तर प्रदेश सिपाही भर्ती परीक्षा संपन्न कराने का ठेका मिला तो उसने इसके लिए उत्तर प्रदेश की कई कंपनियों को विभिन्न काम का ठेका दे दिया। प्रश्न पत्र एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का ठेका नोएडा की एक लाजिस्टिक कंपनी को दिया गया था। बाद में जांच में पता चला कि जिस वेयर हाउस में प्रश्न पत्र रखे गए थे वहीं से पेपर लीक माफिया ने इसे उड़ा लिया था। पेपर लीक में निजी कंपनियों के कर्मचारियों की भी मिली भगत सामने आई थी।
एसटीएफ के सामने नहीं आया एजुटेस्ट का मालिक
पेपर लीक मामला सामने आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी थी। एसटीएफ ने एजुटेस्ट कंपनी के मालिक विनीत आर्य को पूछताछ के लिए बुलाया मगर, वह नहीं आया। बाद में उसे चार सम्मन भेजे गए। इसके बाद भी विनीत आर्य एसटीएफ के सामने नहीं आया। बाद में जब एसटीएफ उसे घर पहुंची तो पता चला कि विनीत आर्य अमरीका भाग गया है। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने एजुटेस्ट कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। सरकार का आदेश है कि अब इस कंपनी को भविष्य में किसी परीक्षा का ठेका नहीं दिया जाएगा। इस आदेश से साफ है कि सरकार ऐसी भर्ती परीक्षाएं कंपनियों से ही कराएगी लेकिन, एजुटेस्ट को कभी ये काम नहीं दिया जाएगा। विशेषज्ञ बताते हैं कि एजुटेस्ट जैसी घाघ कंपनियों को ऐसे सरकारी आदेश से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि, इन कंपनियों की ऊंची पहुंच होती है।ऐसी कंपनियां नए नाम व स्वरूप के साथ फिर काम करना शुरू कर देती हैं।
नीट यूजी परीक्षा में भी ली गई कंपनियों की मदद
नीट यूजी परीक्षा संपन्न कराने वाली एजेंसी एनटीए भी कंपनियों की मदद से ही परीक्षाएं संपन्न कराती है। एनटीए पेपर सेट कराने से लेकर परीक्षा संपन्न कराने तक का काम निजी लोगों से लेती है। इसमें कदम कदम पर गड़बड़ी की संभावना है। निजी प्रोफेसर ही पेपर सेट करते हैं। इस स्तर पर भी पेपर लीक की संभावना है। पेपर बनने के बाद इसे कूरियर कंपनी बिना किसी सरकारी सुरक्षा के एक शहर से दूसरे शहर तक ले जाती है। यहां कूरियर कंपनी के अधिकारी या कर्मचारी भी पेपर लीक गैंग का हिस्सा हो सकते हैं। परीक्षाओं में हजारीबाग के ओएसिस स्कूल जैसे निजी स्कूलों को भी परीक्षा केंद्र बना दिया जाता है। यही नहीं, ऐसे स्कूल के प्रिंसिपल को एनटीए का सिटी कोआर्डिनेटर तक बना दिया जाता है।