नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े शिक्षक सम्मान ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरुस्कार’ से उत्तर प्रदेश के 4 शिक्षकों को नवाजा जाएगा. यह पुरस्कार दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देंगी. यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने लीक से हटकर काम किया हो.
शहनाज अय्यूब ने झांसी में शुरू कराया स्टार्टअप
झांसी की रहने वाली डॉ. शहनाज अयूब साइंटिस्ट से टीचर बनीं. उन्होंने बच्चों को नौकरी देने वाला बनाया और साथ ही 35 स्टार्टअप को दिशा भी दी. वहीं पेड़-पौधों के बगीचे की तर्ज पर स्कूल में मिर्जापुर के टीचर रविकांत द्विवेदी ने गणित का बगीचा बनाया. इसके साथ ही प्रतापगढ़ के सरकारी स्कूल में श्याम प्रकाश मौर्य ने बच्चों को PPT से पढ़ाई कराई. बताया जा रहा है कि डॉ. शहनाज अयूब और BHU की प्रोफेसर बिरंची शर्मा को उच्च शिक्षा के लिए सम्मानित किया जाएगा. वहीं प्राथमिक शिक्षा के लिए रविकांत द्विवेदी और श्याम प्रसाद मौर्य को सम्मानित किया जाएगा. आपको बता दें कि उच्च शिक्षा के लिए 16 और प्राथमिक शिक्षा के लिए 50 शिक्षकों का देश में चयन हुआ है. आइए इन लोगों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
सबसे अनोखा पढ़ाने का तरीका
डॉ. शहनाज अयूब बुंदेलखंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BIET) के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार अभियांत्रिकी विभाग में प्रोफेसर हैं. डॉ शहनाज का कहना है कि उनका पढ़ाने का तरीका सबसे अलग है. इसके साथ ही वे प्रोजेक्ट बेस लर्निंग पर ध्यान देती हैं. इसका ये मतलब है कि अगर थ्योरी का भी सब्जेक्ट है तब भी उसमें थ्योरी एग्जाम नहीं देना है. इसके साथ ही स्टूडेंट्स को सिलेबस से रिलेटेड कुछ न कुछ प्रोजेक्ट जरूर बनाना है. बच्चों में इससे स्किल डेवलप होती है.
आइडिया को बिजनेस में कैसे कराती हैं तब्दील
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि BIET में ‘आइडिया टू बिजनेस मॉडल’ पर एक क्रेडिट कोर्स शुरू किया. इस कोर्स में ये बताया जाता है कि कैसे अपने आइडिया से एक बिजनेस को खड़ा किया जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि स्टूडेंट को अच्छी जॉब के लिए मैं नहीं पढ़ाती हूं. मैं आत्मनिर्भर बनाने के लिए पढ़ाती हूं.
सरकार ने 2020 में स्टार्टअप पॉलिसी बनाई. बुंदेलखंड के 35 नए स्टार्टअप को डॉ. शहनाज ने रजिस्टर्ड कराया. सरकार से अब तक 6 स्टार्टअप को ग्रांट दिला चुकी हैं और मेंटरिंग करती हैं, जिससे नए स्टार्टअप को दिशा मिल सके. इसके साथ ही आउटरिच एक्टिविटी में भी उनका अहम योगदान है.
मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब, फिर साइंटिस्ट बनीं
पहले डॉ. शहनाज अयूब मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती थीं. वहीं सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में साइंटिस्ट रह चुकी हैं. इसके बाद वह शिक्षक बनीं. उन्होंने बताया कि हायर एजुकेशन और पॉलिटेक्निक कॉलेज के हजारों टीचर ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए आवेदन किया था. इसमें वे भी शामिल थी. इसके बाद 14 अगस्त को उनका इंटरव्यू हुआ.
शैक्षणिक शिक्षण, रिसर्च एण्ड इनोवेशन के लिए प्रो. बिरंची कुमार शर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार
राष्ट्रीय पुरस्कार-2024 के लिए BHU के कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. बिरंची कुमार शर्मा को चुना गया. शैक्षणिक शिक्षण, रिसर्च एण्ड इनोवेशन और आउटरीच गतिविधियों के क्षेत्र में योगदान को लेकर प्रोफेसर शर्मा को ये अवॉर्ड दिया जा रहा है. इसके साथ ही कृषि के क्षेत्र में विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन व्यवस्थाओं में पाइटोपैथोजेन की कार्यशैली और उनके प्रबंधन को समझने में प्रो. शर्मा ने अहम योगदान दिया है. इसके साथ ही उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी नई दिल्ली का फेलो भी चुना गया है.
जिले के पहले स्मार्ट क्लास की स्थापना रविकांत द्विवेदी ने की
रविकांत द्विवेदी 4 जुलाई 2009 को टीचर बने. वे मिर्जापुर के धर्मदेवा गांव के रहने वाले हैं. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भगेसर गांव में उनकी तैनाती हुई. वे प्रमोशन पाकर 15 अक्टूबर 2016 को प्रिंसिपल बने. इसके साथ ही उन्होंने स्कूल में जिले के पहले स्मार्ट क्लास की स्थापना की. वहीं उन्होंने स्कूल में गणित का बगीचा भी तैयार करवाया जिसमें इसमें कोण, वित्त, आयत, वर्ग की जानकारी है. इसके साथ ही पत्थरों पर चित्र उकेरे गए और फॉर्मूला भी लिखा गया है. उन्होंने कहा कि वे किसान के बेटे है. साथ ही बच्चों को लगन से पढ़ाने की ललक थी. उन्होंने ये भी कहा कि बच्चे को पढ़ाई समझ में आये इसके लिए उन्होंने हरेक तरीका अपनाया. इसी के फलस्वरूप उन्हें पुरस्कार मिल रहा है.
श्याम प्रकाश मौर्य ने ऑनलाइन ग्रुप बनाकर बच्चों को छात्रवृत्ति करवाई तैयारी
श्याम प्रकाश मौर्य ने बच्चों को पीपीटी (प्रेजेंटेशन) से पढ़ाई कराई. वे प्रतापगढ़ के मल्हूपुर के प्राथमिक विद्यालय में टीचर हैं. उनका मानना है कि इससे बच्चों को आसानी से विषय समझ में आते है. इसके साथ ही जिले के बच्चों को राष्ट्रीय आय आधारित परीक्षा 2022 में उन्होंने ऑनलाइन ग्रुप बनाकर दिलवाई. 785 बच्चों का इसमें चयन हुआ और उन्हें छात्रव्रत्ति मिली. इसके साथ ही उनके चार छात्र इंस्पायर अवॉर्ड के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुए हैं.