बंगाल में घटी 30 लाख नौकरी, झारखंड में चार लाख जॉब का इजाफा
नई दिल्ली : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार इधर कुछ साल में रोजगार के आंकड़ों में तेजी से उतार-चढ़ाव हुआ है। पश्चिम बंगाल समेत देश के 13 राज्यों में बेरोजगारी बढ़ी है। ज्यादातर रोजगार असंगठित क्षेत्र में कम हुए हैं। जबकि, झारखंड और बिहार में रोजगार के अवसरों में इजाफा हुआ है। झारखंड में चार लाख नौकरियां बढ़ी हैं। इसके अलावा, ओडिशा, महाराष्ट्र और गुजरात में 7.61 लाख नौकरी, राजस्थान में 7.56 लाख, मध्य प्रदेश व बिहार में छह-छह लाख, पंजाब और हरियाणा में तीन-तीन लाख नौकरियां बढ़ी हैं। वहीं, बंगाल में 30 लाख नौकरियां घट गई हैं। इसके अलावा, कर्नाटक में 13 लाख, तमिलनाडु में 12 लाख, यूपी में 7.91 लाख, केरल में 6.40 लाख, असम में 4.94 लाख और तेलंगाना में 7.91 लाख नौकरियां घट गई हैं। कई केंद्र शासित प्रदेशों में रोजगार के अवसर घटे हैं। इनमें दिल्ली में 23 लाख, चंडीगढ़ में 51 हजार और पुडूचेरी में 32 हजार नौकरियों की कमी हुई है।
जहां औद्योगिक क्षेत्र अधिक वहां रोजगार के खूब अवसर
जानकारों का मानना है कि जहां असंगठित क्षेत्र में कृषि की भूमिका कम है और औद्योगिक क्षेत्र अधिक है वहां रोजगार के अवसर खूब हैं। मगर, जहां असंगठित क्षेत्र में कृषि क्षेत्र अधिक है और औद्योगिक क्षेत्र कम है वहां रोजगार के अवसर कम हैं। कहा जा रहा है कि औद्योगिक क्षेत्र में कोरोना काल में जब नौकरियां छिनीं तो लोगों ने रोजी रोटी चलाने के लिए खुद का बिजनेस शुरू कर दिया था। इस वजह से इन इलाकों में रोजगार के अवसरों में कोई कमी नहीं आई।
2015-16 व 2022-23 के बीच हुआ है सर्वे
यह सर्वे साल 2015-16 और साल 2022-23 के बीच हुआ है। सर्वे एनएसओ ने कराया है। एनएसओ ने अनइनकारपोरेटेड सेक्टर एंटरप्राइजेज का सर्वे कराया है। इसी सर्वे में यह आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे में यह बात सामने आई है कि आर्थिक रूप से कमजोर माने जाने वाले राज्य में रोजगार बढ़ा है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और बिहार में रोजगार के अवसर तेजी के साथ बढ़े हैं। जबकि, बड़े व समृद्ध माने जाने वाले प्रदेशों में रोजगार के अवसरों में गिरावट आई है। रिपोर्ट से साफ है कि असंगठित क्षेत्र में रोजगार के क्षेत्र में फोकस करने की जरूरत है। सरकार को इस दिशा में नीति तैयार करनी चाहिए और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
बंगाल में मनरेगा बंद होने का असर
बंगाल में मनरेगा को बंद कर दिया गया है। इसके बाद से यहां के गांवों से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। मुर्शिदाबाद जिले के जलांगी के लोग बताते हैं कि मनरेगा से उन्हें मजदूरी के रूप में आमदनी हो जाती थी। मगर, मनरेगा बंद होने से लोग परेशान हैं। जब से मनरेगा बंद हुई है गांव के लोग कमाने के लिए बाहर चले गए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि कई मजदूरों को मनरेगा में मजदूरी नहीं मिली। पांच साल तक का बकाया है। पहले उम्मीद थी कि उन्हें मजदूरी मिल जाएगी। अधिकारी भरोसा दिलाते थे कि फंड आने वाला है। मगर, अब जब योजना बंद हो चुकी है तो अब उम्मीद खत्म हो गई है।